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मर्डर- एक प्रेम कहानी (ep-2)

अगले दिन

(अंजलि फिर अपने क्लाइन्ट यानी कि राज से मिलने आती है।)
 अंजलि- क्या तुम जानते हो तुम जेल किसकी वजह से आते हो। 
राज- अंधे कानून की वजह से
 अंजलि- नही। उसके घरवालों ने किया है F.I.R अपके खिलाफ़।
 राज- (लंबी सांस लेते हुए) तो वो भी मेरे खिलाफ है। अंजलि- तुम्हारे साथ वकील होने के नाते मैं हूँ। और कोई नही है।
 राज- (थोड़ा तिलमिलाहट में) आपको बुलाया किसने, मैने तो आपको कहा नही मेरा केस लड़ो। इन्फेक्ट मैं चाहता ही नही की मेरा केस लड़ो । अपना कैरियर बर्बाद मत करो। मेरी तरह मेरा केस भी हारा हुआ है। 
अंजलि- मुझे किसने कहा किसने नही कहा वो सब छोड़ो।मुझे शुरू से जानना है। पूरी कहानी। पहले ही सुनवाई में निर्दोष साबित हो जाओगे। सब सच सच बताओ।
 राज- मुझे निर्दोष साबित होने की जल्दी नही है , दोषीयो को सजा मिले। ये जरुरी है। 
अंजलि -  ऐसा ही होगा। अब बिना रुके अपनी कहानी पूरी बारीकी से सुनाओ।
( राज शुरू हो जाता है शुरू से)

👈👈 *4 साल पहले* 🤖🤖-

राज उत्तराखण्ड का एक लड़का है जो कि घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए जॉब की तलाश में चंडीगढ़ आया था। यहाँ उसकी मौसी रहती थी।  जो अकेली थी। उनका कोई नही था।मौसी एक दम कड़क, गुस्से वाली, और प्यार वाली, अच्छे के साथ अच्छा। बुरा , झूठ, चीटिंग बर्दास्त नही करने वाली। (सब कुछ नार्मल चल रहा था। एक दिन राज अपने छत पर घूम रहा था। अभी राज को चंडीगढ़ आये 10 दिन ही हुए थे । इसलिए राज किसी को जानता नही था। राज टहल रहा था शाम का समय था तो अचानक उसने देखा उनके घर के सामने एक घर था। उसकी छत में एक सुंदर लड़की टहल रही थी। दूसरे दिन भी जब राज छत में आया तो भी उसे वो दिखी। गर्मी का मौसम था इसलिए हवा खाने छत में आया करती थी। राज उससे बात करना चाहता था । पर उसके पास कोई वजह नही थी । बात करने की। कुछ दिन में राज को पता चला कि उस लड़की का नाम संजना हैं।राज के रोज शाम को छत में जाता और संजना को देखता छिप छिप कर। संजना को भी जब राज नजर आता था तो वो मुस्कराती थी। इसकी वजह से राज की खुशी दोगुनी हुई। पर राज कभी उसे कुछ कह नही सका। कुछ कहना तो छोड़ो। पड़ोसी होने के नाते कभी हाई-हेलो भी नही किया। राज इस डर में था कि पड़ोस का मामला है । उसके मन मे कुछ न हुआ और उसने कुछ उल्टा सीधा बोल दिया तो मैं फिर उससे नजर भी नही मिला पाऊंगा। इसी तरह महीनों गुजर गए।मौसी को शक था कि ये बार बार छत में क्यों जाता है। तो एक दिन
 मौसी - तू छत में बहुत जाता है आजकल तेरी आंटी बैठी है छत पर
 राज- (हंसते हुए बात टालता हैं) हिहिहिहि नही अंकल बैठे है। 
मौसी - मुझे मत घूमा मैं सब समझती हूँ। जिसके लिए तू जाता है। लेकिन याद रख तेरे जैसे सौ उसके आगे पीछे घूमते है। तुझे उसकी जुति भी नही पूछेगी। (मौसी गुस्से वाली थी और मजाक वाली भी ) 
राज- मैं............ और उसके लिए। पागल हो क्या ऐसा कुछ नही है। 
मौसी - हां ऐसे चक्करो में पड़ना भी मत। चल कुछ काम कर ले । चाय ही बना दे मेरे लिए।
 राज- (स्पीकर को चार्जिंग पर लगाते हुए) अभी बनाकर लाता हूँ ।) 
मौसी- अब गाने मत बजाना। तेरे गाने मेरे सिर में दर्द करते है। 
राज- मुझे गाने सुनने का बहुत शौक है।
(एक ही दिन मौसी ने ऐसी बात कही। उसके बाद राज ने छत पर जाना बंद कर दिया क्योंकि अगर घर के लोग ये सोचते है तो बाहर वाले क्या सोचेंगे। लेकिन उसे रोज देखना आदत बन गयी थी उसकी मौसी की बात का असर इस कदर राज पर चढ़ गया था। कि उसने ठान ली कि संजना से बात करके छोडूंगा। उसकी जुती भी नही पूछती ऐसा कैसे हो सकता है। उसे संजना की हर गतिविधि की खबर थी कि वो कॉलेज कब जाती है कब आती है । )
(एक दिन राज उसके कॉलेज से थोड़ी दूर उसका इंतजार कर रहा था। ताकि संजना आएगी तो उससे बात करूंगा। शाम का समय था। संजना कॉलेज से आई । लेकिन वो अकेली नही थी उसके साथ उसके कॉलेज की एक लड़की थी। दोनो साथ आये। इस कारण राज बात नही कर पाया। दूसरे दिन भी राज वही गया। उस दिन भी उसके साथ दूसरी लड़की थी। जिसका नाम दिव्या था। और वो संजना की बेस्ट फ्रेंड थी। अगले दिन राज ने इंतजार करने की जगह बदल दी क्योकि कॉलेज था सेक्टर 10 में और दिव्य जाती यही सेक्टर 7,राज को पता लग गया था दिव्या कहाँ तक उसके साथ जाएगी। अब राज ऐसी जगह इंतजार कर रहा था जहाँ वो अकेली होगी। राज डरा हुआ था। उसने उसे न ही परपोज़ करना था । न ही कोई प्यार का इजहार। बस दोस्ती करने की चाहत थी। संजना भी अपनी चाल में चली आ रही थी। उसने दूर से ही राज को देख लिया तो उसने रास्ता बदलने की कोशिश की। क्योकि राज उसका पड़ोसी था। और जब भी मौका मिलता संजना को निहारता या यु कहो देखता रहता था। इसलिए संजना भी थोड़ी शर्माती थोड़ा डरती थी।) जैसे ही संजना राज के पास पहुंची। राज ने टोकते हुए कहा )
राज- जी सुनिए (आवाज में झिझक थी और नजरे झुकी हुई।) 
संजना-( पहली बार ऐसा हुआ था तो संजना थोड़ी डरी। और फिर उसने देखा उससे ज्यादा तो राज डरा है तो थोड़ा नार्मल हुई )जी कहिये 
राज- मुझे ऐसा पूछना तो नही चाहिए मगर क्या करूँ । मेरी मौसी कहती है कि मेरे जैसे सौ लड़के आपके जुती में रहते है। और आप मेरे जैसो को नही पूछोगे। लेकिन मैं आपसे दोस्ती करना चाहता हूँ। 
संजना - ये क्या बकवास है।....(फिर थोड़ा सोचकर) सही कहती है। (वहाँ से जाने लगती है) 
राज-सुनो तो सही.... क्या हम दोस्त नही बन सकते। 
संजना - जी नही। राज- लेकिन क्यों। संजना -क्यो का कोई जवाब नही होता। 
राज- आप कारण बताओ मैं दोबारा आपके रास्ते मे कभी नही आऊंगा। 
संजना -( कुछ सोचती है , वो सोचती है पड़ोस के मामला है अगर पड़ोसी नही होता तो इसको रास्ता मैं बताती। दोबारा रास्ते मे नही आता।) चलो एक शर्त है। 
राज- ठीक है मंजूर है। 
संजना - सुन तो ले। 
राज-- हाँ बोलो 
संजना- मेरी एक दोस्त है दिव्या। तुम उससे दोस्ती कर लो अगर उसने दोस्ती कर ली तो समझ लेना मैंने दोस्ती कर ली। लेकिन उसको मेरा नाम मत बताना की मैने ये सब बोला है। राज- प्रॉमिस, अगर दोस्ती कर ली तो पक्का मान जाओगे। संजना- हाँ , लेकिन जब तक वो आपकी दोस्ती एक्सेप्ट नही कर लेती। तुम न मुझे फॉलो करोगे न रास्ता रोकेंगे, न कोई बात करोगे। 
राज-  दोस्ती मुबारक हो आपको जल्द मिलेंगे (राज वहाँ से चला जाता है यह सोचकर कि दिव्या से दोस्ती करेगा। और फिर संजना से भी हो जाएगी।) 
संजना - (संजना ये सोचकर चली जाती हूं। कि जिससे प्रिंसपल का बेटा राहुल नही दोस्ती कर सका। जिसने कॉलेज के बाहर लड़को का आना जाना बैन करवा दिया। जिसे लड़को से दोस्ती करनी जहर खाने समान लगता है। उसको दोस्त कैसे बनाएगा राज। और जब ये उसे दोस्त नही बना सकेगा तो मेरे रास्ते मे भी नही आ पायेगा)

कहानी मैं नया मोड़ आ गया अब राज ने शर्त पूरी करने के लिए दिव्या से दोस्ती करने की ठानी है देखेंगे क्या वो दिव्या से दोस्ती कर पायेगा, कैसे करेगा जो पड़ोसन से नही कर पाया


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3 Comments

Swati chourasia

01-Sep-2021 08:52 PM

Very beautiful

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Aliya khan

01-Sep-2021 12:23 PM

Very nice

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🤫

30-Aug-2021 07:30 PM

इंट्रेस्टिंग....!!

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